सादिकपुर कस्तूरबा आवसीय विद्यालय कि छात्राए पठन-पाठन में स्कूल में कुव्यवस्था से तंग आकर जिला प्रशासन से व्यवस्था सुधारने कि गुहार लगाई है .

  शेखपुरा जिले के सादिकपुर कस्तूरबा आवसीय विद्यालय कि छात्राए पठन-पाठन में स्कूल में कुव्यवस्था से तंग आकर जिला प्रशासन से व्यवस्था सुधारने कि गुहार लगाई है .छात्राओ का आरोप है कि स्कूल के संचालन से जुड़े स्वयं सेवी संस्था के द्वारा छात्राओ के साथ बदतमीजी कि जाती है .यहाँ तक कि पठन-पाठन में सुधार लाने के बजाय छात्राओ से विद्यालयों में रोटिया बनवाई जाती है एबम बर्तन साफ़ कराने से लेकर झाड़ू -पोछे भी लगवाए जाते है .इतना ही नहीं इसकी शिकायत  करने पर बच्चियों के साथ मार-पित भी कि जाती है .
सालाना बीस लाख कि लागत से संचालित ये है शेखपुरा जिले का सादिकपुर कस्तूरबा आवसीय विद्यालय .कहने को तो इस विद्यालय पर सरकार का नियंत्रण है और लगभग एक सौ बच्चियों के आवसीय सुबिधा उपलब्ध कराने के लिए सालाना लगभग बीस लाख  रूपये खर्च किये जाते है .लेकिन इस विद्यालय सरकार कि हुकूमत नहीं बल्कि एन.जी.ओ.राघो सेवा संस्थान कि दादागिरी चलती है .विद्यालय में बच्चियों को पठन-पाठन कराने के बजाय उसे झाड़ू-पोछे के साथ-साथ रोटिया तक बनवाई जाती है .जो नियम के विपरीत है .नियमानुसार विद्यालय में एन.जी .ओ.को रसोइया एबम सफाई कर्मचारी अलग से बहाल करना है एबम बच्च्यो के पढाई -लिखाई कि भी समुचित इंतजाम करना है .लेकिन इस विद्यालय के संचालन से जुड़े एन.जी.ओ. कि मनमानी कि वजह से छात्राओ में आक्रोश देखने को मिल है .छात्राओ ने कई वार एन.जी.ओ. से व्यवस्था सुधारने का अनुरोध किया लेकिन जब उस कोई ध्यान नहीं दिया गया ,तब थक-हार कार छात्राओ ने जिले प्रशासन से इस पर हस्तक्षेप करने कि मांग कि है .
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि यह विद्यालय प्रबंधन पूर्व से विवादित रहा है .उन्होंने कहा कि पूर्व में भी इस तरह कि शिकायत मिली थी जिसमे जाँच के बाद करवाई भी हुई थी .साथ ही एन.जी.ओ.से भी स्पष्टीकरण हुआ है .लेकिन अगर फिर से शिकायत मिल रही है तो उसकी जाँच होगी .साथ उन्होंने ये भी बताया कि पूरे मामले के जड़ में कही न कही एन.जी.ओ.एबम ग्रामीणों के बीच आपसी विवाद है .
मामला चाहे जो भी हो जिला प्रशासन जान कर भी अगर अनजान बनी है तो इससे साफ़ जाहिर होता है कि इस विद्यालय में अपना जीवन सवारने के लिए इन बच्चियों के भबिष्य कि उन्हें कोई चिंता नहीं है और प्रशासन स्पष्टीकरण एबम कागजी खानापुती में ही जुटी है .  


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