अस्पताल है बदहाल



सरकार कि उदासीनता तथा स्वास्थ्य बिभाग कि लापरवाही से बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ.श्री कृष्ण सिंह के नाम बना एकलौता जनाना अस्पताल बदहाल है .महिला चिकत्सक कि पदस्थापना नहीं रहने के अस्पताल में महिला रोगी के बजाय मवेशी तथा आवारा जानवर धूमते पाए जाते है .शेखपुरा के गिरिहिंदा चौक स्थित श्री कृष्ण जनाना स्पताल कि हालत देखकर श्री बाबु के नाम पर राजनितिक दलों पर आपको भी घृणा होने लगेगा .1960 के दशक में बिहार केशरी डॉ.श्री कृष्ण सिंह के नाम पर यह जनाना अस्पताल खोला गया था .उद्देश था कि शेखपुरा जैसे पिछड़े इलाके से महिलाओ को इलाज हेतु बाहर जाना न पड़े .लेकिन आज इस अस्पताल में एक भी महिला चिकत्सक कि पदस्थापना नहीं है और मात्रा एक पुरुष डॉ. के सहारे यह अस्पताल कागजो पर जीवित है .यही कारण है कि अस्पताल में रोगी के बजाय आवारा पशु या फिर गाय ,बकरी घूमते पाए जाते है .जिन कर्मचारी कि पदस्थापना भी है तो वह मरीज के आभाव में अस्पताल में खुद मरीज के बेद पर सोये पाए जाते है .*अस्पताल में पदस्थापित चिकत्सक कि माने तो इसकी इस हालत के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार दोषी है.डॉ.का कहना है कि इस अस्पताल में पर्याप्त संख्या न तो डाक्टर कि पोस्टिंग है और न ही स्वास्थ्य कर्मी तैनात है .यही कारण है कि मरीज नहीं के बराबर आते है .चिकत्सक यह भी कहते है कि अगर बिभाग पहल करे तो यह एक समृद्ध महिला अस्पताल बन सकता है .मामला चाहे जो भी हो आलम यह है कि चुनाव के दरमियाँ हर पार्टी श्री बाबु का नाम बेचकर वोट बटोरती है लेकिन उनके नाम पर बने संस्थानों को पुनर्जीवित करने का पहल कोई नहीं करता . 

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