आज की सरकार
राज चलैल्कौ राजपूत ,यादव
मुसलमान और भूमिहार हो।
कहियो नै दम देखलू मिरवा
कुरमी के सरकार हो।
अत्याचार बढ़ल अब जा हौ
भ्रष्ट्राचार बढ़ल अब जा हौ
नितीश के सरकार में।
कुछो नै फिदा रहले मिरवा
गरीब के रोजगार में।
कोश-कोश मोबाइल बैठल
माइनिंग घुसल पहाड़ में।
दस -पांच देनी जो ओभर रहौ
तो छोडै तीस हजार में।
पंचाने ई नदी खोदैलको
शब्जी दहल बिहार के
साठ रुपईया झिन्गुनी बिक गेल
जितिया के त्योहार में।
नितीश सामने फोरवड भैया
हो गेल सब बेकार हो।
अनपढ़-अनपढ़ मुखिया बन गेल
मुसहर और चमार हो।
खुद मुसहरा दारू पियौ
चखना मिले उधार हो।
निशा लगलौ अब मंझिया
गीरल हौ नदिया पार हो।
खुद मुसहरा ताड़ी पियै
पसिया भिर जाय हो।
चखना खातिर पासिन से
ई कर देलकौ लड़ाई हो।
नितीश सामने फोरवड भैया
हो गेल सब बेकार हो।
एम.पी.अखने ललन सिंह
बनल है परिवार हो।
पहले रिश्ता सार-बहनोई के
अब भेल भगिन दामाद हो।
जेकर पाप से सुख गेल मिरवा
दक्षिणी सब बिहार हो।
लखीसराय स्थित बालगुदर गाँव के एक मगही कवि की प्रस्तुति :-साभार
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