ब्रह्मा बाबा के पास हर मर्ज की दवा ,गंदे पानी से करते है इलाज , जिला प्रशासन भी दे रखी है छुट
बिज्ञान के इस युग में भले ही लोग नये - नये आश्चर्यजनक खोज करने की दिशा में आगे बढ़ रहे है लेकिन शेखपुरा और लक्खीसराय जिला सीमा के बिल्लो गावं में अंधविश्वास की मजबूत कड़ी देखने को मिला है। भुत-प्रेत सहित अन्य कष्टकारक बीमारियों से छुटकारा के लिए जिस तरह से खेल खेला जा रहा है ,सचमुच चौकाने बाला है। हद तो तब हो गयी जब जिला प्रसाशन द्वारा भी अंधविश्वास का खेल के लिए अनुमति दी है।
शेखपुरा-लक्खीसराय सड़क मार्ग के बीच है बिल्लो गावं जहा प्रत्येक शनिवार और मंगलबार को ब्रह्मा बाबा के पास हजारो की संख्या में लोगो की जमाबडा होती है। जब मीडिया टीम घटनास्थल पर पहुंची तो भुतखेल का का दौर जारी था। इसमें लडकिया और महिलाओ की संख्या ज्यादा थी। स्थानीय लोगो ने कहा की जब भुत-प्रेत की पहचान हो जाती है , तो नाला का गन्दा पानी में नहाने का आदेश दिया जाता है तथा गन्दा पानी पीने को कहा जाता है। तब समझिये की भुत-प्रेत का भागना शुरू हो जाता है। गुजरात से आये श्रद्धालु बबलू प्रसाद कहते है की उसकी पत्नी पर प्रेत का साया है ,जिसका इलाज के लिए यहाँ आये हुए है। जब मनोकामना पूरा होता है तो पास के पीपल के बृक्ष में एक धातु का घंटी बांधना पड़ता है। अन्धविश्वास के इस खेल में सिर्फ बिहार के ही नहीं बल्कि कई राज्यों से भी लोग भी आते है और मनोकामना पूर्ण की बाते भी कहते है।
इस भुत खेल और अन्धविश्वास का वागडोर संभाले बाबा राजेंद्र दास का कहना है की किसी भी तरह भुत - प्रेत अथवा अहित पहुँचाने बाली शक्तियाँ का यहाँ अंत हो जाता है।
वही घटनास्थल पर तैनात चौकीदार नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया की लक्खीसराय एसडीओ की अध्यक्षता में एक कमिटी का भी गठन किया गया है। ताकि पूजा और अन्धविश्वास के नाम पर आ रही राशी का हिसाब -किताब रखा जा सके तथा एसडीओ द्वारा चार होमगार्ड और चौकीदार की भी तैनाती किया गया है।
बहरहाल पीपल पेड़ के पास लडकियां किस कदर भुत -प्रेत का खेल रही है और 50 से 100 बार लेटकर परिक्रमा किया जाता है। फिर उसे गन्दा पानी में नहाना - पीना तथा मिट्टी खाना और जब तक ठीक नहीं होता है ,तब तक लगातार इस तरह का खेल जारी रहता है बर्तमान में इस बैज्ञानिक युग में यह कितना सही है यह तो शासन और प्रशासन के साथ ही समाज के लोगो को सोचना होगा।
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