शेखपुरा:यूटरस घोटाला - 46 पीड़िता को सरकार देंगी मुआवजा,मानवधिकार की कड़े रुख के बाद 50 हज़ार की मुआवजे का ऐलान
चन्दन कुमार/शेखपुरा।
जिले में हुए यूटरस घोटाले में अब पीड़िता को 50 हज़ार रुपये की राशी मुआवजे की तौर पर सरकार देंगी। वर्ष 2013 में तत्कालीन डीएम संजय कुमार ने एक पीड़िता की शिकायत पर जाँच करवाया था। जाँच रिपोर्ट में जो खुलासा किया उसमें तो इस हमाम में सारे डाक्टर (योजना से संबंधित अस्पताल चलाने वाले ) नंगे नजर आये। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने 6 नर्सिंग होम पर कार्रवाई का आदेश दिया गया था। फिर डीएम का तबादला हो गया और मामला आधार में लटक गया था। इस मामले को लेकर सरकार को भी मानवाधिकार का काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी। मानवाधिकार के कड़े रुख के बाद वर्त्तमान डीएम दिनेश कुमार के आदेश पर सिविल सर्जन ने 21 अप्रैल 2016 को दोषी पाए जाने वाले 6 नर्सिंग होम के संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
क्या था मामला ?
डीएम द्वारा गठित जाँच टीम ने विभिन्न अस्पतालों में गर्भाशय निकाले जाने की जांच की। इसमें कई चौकाने वाला तथ्य सामने आये हैं। इसमें कागज पर गर्भाशय निकालने का भी मामला आया। जिसमे बिना कारण ही पार्वती देवी नामक जिस महिला का गर्भाशय निकालने की बात सामने आयी है उसकी भौतिक जांच टीम ने की तो उसे अभी भी सामान्य तौर पर मासिक धर्म हो रहा है। जांच टीम ने इसे पूरी तरह से फर्जी बताया है। इसी तरह सविता देवी नामक महिला की जांच में पेट में अपेंडिक्स पाया गया था, मगर उसका गर्भाशय निकाल दिया गया। एक अस्पताल ने तो हद की सारी सीमा लांघ डाली थी। गीता देवी नामक महिला का दो गर्भाशय निकाल डाला। इस गीता का एक गर्भाशय पेट चीरकर निकाला गया तथा दूसरा गर्भाशय योनी का आपरेशन करके निकाला गया। भौतिक जांच में जांच टीम ने आशा देवी, श्यामा देवी, किरण देवी, सुलेखा देवी, उषा देवी, मंजू देवी , कांति देवी,बसंती देवी, नीलम देवी जैसी कई महिलाओं के गर्भाशय निकालने की भौतिक जांच टीम ने की तथा गड़बड़ी पायी। डीएम ने बताया कि जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कई ऐसे मामलों में सीधे गर्भाशय निकाल दिये गये जिसको मात्र कुछ दवाईयों से ठीक किया जा सकता था ।
इन 6 अस्पताल के संचालक पर हुआ था प्राथमिकी दर्ज ?
इस योजना से संबंधित जिले के विभिन्न अस्पतालो में से निशांत क्लीनिक शेखपुरा, निशी क्लीनिक शेखपुरा, इशान हास्पिटल शेखपुरा, श्रीराम हास्पिटल शेखपुरा, भवानी क्लीनिक बरबीघा तथा अपोलो अस्पताल बरबीघा में बीमा योजना का रुपया खाने के लिए मनमाने तरीके से महिलाओं के गर्भाशय निकालने के मामले में डीएम के आदेश पर सिविल सर्जन ने प्राथमिकी दर्ज कराया था।फिलहाल सभी जमानत पर बाहर है।
जाँच टीम में शामिल थे 5 डॉक्टर ?
इस मामले की जाँच के लिए डीएम ने एक टीम गठित किया था। इस टीम में डॉ सुबोध प्रसाद, अशोक कुमार, निलिमा रूखैययार, आशा सिन्हा तथा सुनीता सिन्हा शामिल थे। यह पांच सदस्यीय टीम ने अस्पतालों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के पैनल से हटाकर जांच की गयी थी।
मुआवजे की तौर पर दिया जायेगा 50 हज़ार की राशी ?
मानवाधिकार के कड़े रुख के बाद आखिरकार सरकार ने इस मामले पर पीड़ित महिलाओं को 50 हज़ार रुपये की राशी मुआवजे की तौर पर देने का ऐलान किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने डीएम को पत्र भी भेजा है। डीएम के आदेश के बाद सिविल सर्जन डॉ एमपी प्रसाद ने कुल 46 पीड़िता को संबधित कागजात को लेकर सदर अस्पताल में बुलाया है तथा जांचोपरांत के राशी मुहैया की जायेगी।
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जिले में हुए यूटरस घोटाले में अब पीड़िता को 50 हज़ार रुपये की राशी मुआवजे की तौर पर सरकार देंगी। वर्ष 2013 में तत्कालीन डीएम संजय कुमार ने एक पीड़िता की शिकायत पर जाँच करवाया था। जाँच रिपोर्ट में जो खुलासा किया उसमें तो इस हमाम में सारे डाक्टर (योजना से संबंधित अस्पताल चलाने वाले ) नंगे नजर आये। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने 6 नर्सिंग होम पर कार्रवाई का आदेश दिया गया था। फिर डीएम का तबादला हो गया और मामला आधार में लटक गया था। इस मामले को लेकर सरकार को भी मानवाधिकार का काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी। मानवाधिकार के कड़े रुख के बाद वर्त्तमान डीएम दिनेश कुमार के आदेश पर सिविल सर्जन ने 21 अप्रैल 2016 को दोषी पाए जाने वाले 6 नर्सिंग होम के संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
क्या था मामला ?
डीएम द्वारा गठित जाँच टीम ने विभिन्न अस्पतालों में गर्भाशय निकाले जाने की जांच की। इसमें कई चौकाने वाला तथ्य सामने आये हैं। इसमें कागज पर गर्भाशय निकालने का भी मामला आया। जिसमे बिना कारण ही पार्वती देवी नामक जिस महिला का गर्भाशय निकालने की बात सामने आयी है उसकी भौतिक जांच टीम ने की तो उसे अभी भी सामान्य तौर पर मासिक धर्म हो रहा है। जांच टीम ने इसे पूरी तरह से फर्जी बताया है। इसी तरह सविता देवी नामक महिला की जांच में पेट में अपेंडिक्स पाया गया था, मगर उसका गर्भाशय निकाल दिया गया। एक अस्पताल ने तो हद की सारी सीमा लांघ डाली थी। गीता देवी नामक महिला का दो गर्भाशय निकाल डाला। इस गीता का एक गर्भाशय पेट चीरकर निकाला गया तथा दूसरा गर्भाशय योनी का आपरेशन करके निकाला गया। भौतिक जांच में जांच टीम ने आशा देवी, श्यामा देवी, किरण देवी, सुलेखा देवी, उषा देवी, मंजू देवी , कांति देवी,बसंती देवी, नीलम देवी जैसी कई महिलाओं के गर्भाशय निकालने की भौतिक जांच टीम ने की तथा गड़बड़ी पायी। डीएम ने बताया कि जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कई ऐसे मामलों में सीधे गर्भाशय निकाल दिये गये जिसको मात्र कुछ दवाईयों से ठीक किया जा सकता था ।
इन 6 अस्पताल के संचालक पर हुआ था प्राथमिकी दर्ज ?
इस योजना से संबंधित जिले के विभिन्न अस्पतालो में से निशांत क्लीनिक शेखपुरा, निशी क्लीनिक शेखपुरा, इशान हास्पिटल शेखपुरा, श्रीराम हास्पिटल शेखपुरा, भवानी क्लीनिक बरबीघा तथा अपोलो अस्पताल बरबीघा में बीमा योजना का रुपया खाने के लिए मनमाने तरीके से महिलाओं के गर्भाशय निकालने के मामले में डीएम के आदेश पर सिविल सर्जन ने प्राथमिकी दर्ज कराया था।फिलहाल सभी जमानत पर बाहर है।
जाँच टीम में शामिल थे 5 डॉक्टर ?
इस मामले की जाँच के लिए डीएम ने एक टीम गठित किया था। इस टीम में डॉ सुबोध प्रसाद, अशोक कुमार, निलिमा रूखैययार, आशा सिन्हा तथा सुनीता सिन्हा शामिल थे। यह पांच सदस्यीय टीम ने अस्पतालों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के पैनल से हटाकर जांच की गयी थी।
मुआवजे की तौर पर दिया जायेगा 50 हज़ार की राशी ?
मानवाधिकार के कड़े रुख के बाद आखिरकार सरकार ने इस मामले पर पीड़ित महिलाओं को 50 हज़ार रुपये की राशी मुआवजे की तौर पर देने का ऐलान किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने डीएम को पत्र भी भेजा है। डीएम के आदेश के बाद सिविल सर्जन डॉ एमपी प्रसाद ने कुल 46 पीड़िता को संबधित कागजात को लेकर सदर अस्पताल में बुलाया है तथा जांचोपरांत के राशी मुहैया की जायेगी।
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