SHEIKHPURA: मनरेगा के तहत अपनी किस्मत चमकाने में जुटे मुखिया व अधिकारी,मजूदर की जगह जेसीबी से कराया जा रहा है कार्य

चन्दन कुमार/शेखपुरा।
जिले के चेवाड़ा प्रखण्ड के बिभिन्न पंचायतो में इन दिनों मनरेगा के तहत अपनी किस्मत चमकाने में मुखिया से लेकर अधिकारी लगे हुए है। इसका उदाहरण चेवाड़ा प्रखण्ड के कई पंचायतों में देखा जा सकता है की मनरेगा योजना के तहत कराये जा रहे कार्यो में किस तरह लूट -खसोट मची हुई है। मजदुर के बदले दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे  में ट्रैक्टर, जेसीबी या फिर अन्य जिलों के मजदूरों से मिट्टी वर्क करवाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस लूट-खसोट प्रखंड के अधिकारियो के अलावे मनरेगा के पीओ, रोजगार सेवक एवं मुखिया की मिलीभगत है।
कहते है ग्रामीण ?
ग्रामीणों की माने तो इस काम को बड़ी चालाकी से देर रात तक जिले के अधिकारियो के आँखों में धूल झोंकने के लिए ट्रैक्टर ,जेसीबी या फिर अन्य जिलों के मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। हालांकि मुखिया की दबंगई के कारण लोग कुछ बोलने नहीं चाहता है।
मनरेगा से अपनी किस्मत चमकाने में जुटे है मुखिया ?
इस लूट-खसोट को सफल बनाने के लिए मुखिया द्वारा बिना किसी घोषणा के पहले स्थल पर मनचाहे तरीके से कार्य करवा देते है और बाद में उसे अपने योजना में ले आते है। फिर राशि निकालने के बाद उस स्थल पर मनरेगा का बोर्ड लगा दिया जाता है।
अधिकारी नहीं सुनते है शिकायत ?
स्थानीय लोगो का आरोप है की कई बार स्थानीय स्तर पर बीडीओ एवं सीओ से इसकी शिकायत की गयी, पर कोई नोटिस नहीं लिया गया। अधिकारी से शिकायत के समय तो कार्यवाई की बात करते है पर बाद में उलटे ही ठीकेदार को शिकायतकर्ता का नाम बताकर उसे प्रताड़ित करवाया जाता है।
कहाँ-कहाँ से आयी है गड़बड़ी ?
सबसे ज्यादा गड़बड़ी चेवाड़ा प्रखण्ड से मिल रही है। लोहान पंचायत के भलुआ गांव में मुखिया संजीव कुमार तथा पंचायत रोजगार सेवक अर्जुन प्रसाद की मिली -भगत से आहर पर मिट्टी भराई कार्य को अन्य जिलों के मजदूर से करवा लिया है तथा मजदूर को मजदूरी भी भुगतान कर दिया गया। वही फतेहपुर में भी पैन की खुदाई जेसीबी मशीन से करवा ली गयी। छठियारा पंचायत के कपासी गांव में बिल्ली सिंह,सच्चु सिंह,सुलोचन सिंह तथा बच्चू सिंह की जमीन को समतल कार्य को जेसीबी से करवा लिया है।
कहते है अधिकारी ?
बीडीओ मनोज कुमार का कहना है कि इस तरह का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है,आने पर कार्रवाई की जायेगी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मौखिक जानकारी प्रखंड के अधिकारियो को दी जाती है तो उनका नाम ठीकेदार को बता दिया जाता है जबकि सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखना है। ऐसे में फिर मुखिया द्वारा धमकी दिया जाता है। फिर कोई ग्रामीण कैसे लिखित शिकायत दे। बीडीओ के रवैये से साफ़ जाहिर होता है कि कही न कही इस पुरे प्रकरण में बीडीओ की संलिप्तता जाहिर हो रही है।

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