SHEIKHPURA: मजदूरो का हकमारी कर अपनी किस्मत चमकाने में जुटे मुखिया, मनरेगा में जेसीबी से कराया जा रहा है कार्य
चन्दन कुमार/शेखपुरा।
जिले के अरियरी प्रखण्ड के कई पंचायतो में इन दिनों मनरेगा के तहत अपनी किस्मत चमकाने में पंचायत में मुखिया लगे हुए। ऐसा नहीं की अधिकारी भी मदद में कोई कोर -कसर छोड़े हुए है। चेवाड़ा प्रखण्ड के अब अरियरी में देखने को मिल रहा है। जहाँ की मनरेगा कार्यो में लूट -खसोट मची हुई है। मजदुर के बदले दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में ट्रैक्टर, जेसीबी या फिर अन्य जिलों के मजदूरों से मिट्टी वर्क करवाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस लूट-खसोट प्रखंड के अधिकारियो के अलावे मनरेगा के पीओ, रोजगार सेवक एवं मुखिया की मिलीभगत है।
कहते है ग्रामीण ?
ग्रामीण अबधेश मोची ने डीएम को ज्ञापन देकर जाँच की गुहार लगायी है। दिए गए ज्ञापन में आरोप लगाया है की अरियरी के चोरवर पंचायत के मुखिया कारू मांझी व योजना से जुड़े पदाधिकारी की मिलीभगत से मनरेगा का कार्य जेसीबी से कराया जा रहा है और वैसे लोगो का बैंक में खाता खुलबा रुपया निकाल लेते है। जिसको इससे दूर -दूर तक को मतलब नही है। हालांकि मुखिया की दबंगई के कारण लोग कुछ बोलने नहीं चाहता है।
ग्रामीण अबधेश मोची ने डीएम को ज्ञापन देकर जाँच की गुहार लगायी है। दिए गए ज्ञापन में आरोप लगाया है की अरियरी के चोरवर पंचायत के मुखिया कारू मांझी व योजना से जुड़े पदाधिकारी की मिलीभगत से मनरेगा का कार्य जेसीबी से कराया जा रहा है और वैसे लोगो का बैंक में खाता खुलबा रुपया निकाल लेते है। जिसको इससे दूर -दूर तक को मतलब नही है। हालांकि मुखिया की दबंगई के कारण लोग कुछ बोलने नहीं चाहता है।
मनरेगा से अपनी किस्मत चमकाने में जुटे है मुखिया ?
इस लूट-खसोट को सफल बनाने के लिए मुखिया द्वारा बिना किसी घोषणा के पहले स्थल पर मनचाहे तरीके से कार्य करवा देते है और बाद में उसे अपने योजना में ले आते है। फिर राशि निकालने के बाद उस स्थल पर मनरेगा का बोर्ड लगा दिया जाता है।
इस लूट-खसोट को सफल बनाने के लिए मुखिया द्वारा बिना किसी घोषणा के पहले स्थल पर मनचाहे तरीके से कार्य करवा देते है और बाद में उसे अपने योजना में ले आते है। फिर राशि निकालने के बाद उस स्थल पर मनरेगा का बोर्ड लगा दिया जाता है।
अधिकारी नहीं सुनते है शिकायत ?
स्थानीय लोगो का आरोप है की कई बार स्थानीय स्तर पर बीडीओ एवं सीओ से इसकी शिकायत की गयी, पर कोई नोटिस नहीं लिया गया। अधिकारी से शिकायत के समय तो करवाई की बात करते है पर बाद में उलटे ही ठीकेदार को शिकायतकर्ता का नाम बताकर उसे प्रताड़ित करवाया जाता है।
कहते है अधिकारी ?
प्रखण्ड के बीडीओ परमानन्द पंडित का कहना है कि इस तरह का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है,आने पर कार्रवाई की जायेगी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मौखिक जानकारी प्रखंड के अधिकारियो को दी जाती है तो उनका नाम ठीकेदार को बता दिया जाता है जबकि सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखना है। ऐसे में फिर मुखिया द्वारा धमकी दिया जाता है। फिर कोई ग्रामीण कैसे लिखित शिकायत दे। बीडीओ के रवैये से साफ़ जाहिर होता है कि कही न कही इस पुरे प्रकरण मेंबीडीओ की संलिप्तता जाहिर हो रही है।
प्रखण्ड के बीडीओ परमानन्द पंडित का कहना है कि इस तरह का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है,आने पर कार्रवाई की जायेगी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मौखिक जानकारी प्रखंड के अधिकारियो को दी जाती है तो उनका नाम ठीकेदार को बता दिया जाता है जबकि सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखना है। ऐसे में फिर मुखिया द्वारा धमकी दिया जाता है। फिर कोई ग्रामीण कैसे लिखित शिकायत दे। बीडीओ के रवैये से साफ़ जाहिर होता है कि कही न कही इस पुरे प्रकरण मेंबीडीओ की संलिप्तता जाहिर हो रही है।
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