SHEIKHPURA: पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने की वट सावित्री पूजा
चन्दन कुमार/शेखपुरा।
पति की लंबी उम्र के लिए आज महिलाओं ने वट सावित्री व्रत किया। सुहागिनें 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना की। इसके बाद पति की लंबी आयु का वरदान मांगा। जिले के अमूमन हर इलाके में महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती नजर आयी। महिलाओ ने पति की लंबी आयु के लिए बरगद के पेड़ तले सत्यवान और यमराज की पूजा कर कच्चे धागे से पेड़ की फेरी लगायी।
इसके बाद घर पहुंचकर महिलाओं ने पति का आशीर्वाद लिया और तार का पंखा झल कर अपना व्रत पूरा किया।
*व्रत से मिला है सदा सुहागिन का आशिर्वाद*
ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है।
इसके बाद घर पहुंचकर महिलाओं ने पति का आशीर्वाद लिया और तार का पंखा झल कर अपना व्रत पूरा किया।
*व्रत से मिला है सदा सुहागिन का आशिर्वाद*
ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है।
*इसी दिन यमराज से सत्यवान के प्राण छीन लायी थी सावित्री*
कथाओं में उल्लेख है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तब सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिये। एक वरदान में सावित्री ने मांगा कि वह सौ पुत्रों की माता बने। यमराज ने ऐसा ही होगा कह दिया। इसके बाद सावित्री ने यमराज से कहा कि मैं पतिव्रता स्त्री हूं और बिना पति के संतान कैसे संभव है।
कथाओं में उल्लेख है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तब सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिये। एक वरदान में सावित्री ने मांगा कि वह सौ पुत्रों की माता बने। यमराज ने ऐसा ही होगा कह दिया। इसके बाद सावित्री ने यमराज से कहा कि मैं पतिव्रता स्त्री हूं और बिना पति के संतान कैसे संभव है।
*ऐसे करें पूजा*
वहीं, पंडित नरेश पंडित के मुताबिक यह पर्व हर साल ज्येष्ठ महिना कृष्ण पक्ष के दिन आता है। तिथि के पर्व पर ही यह पर्व मनाया जाता है। सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करती हैं।
वहीं, पंडित नरेश पंडित के मुताबिक यह पर्व हर साल ज्येष्ठ महिना कृष्ण पक्ष के दिन आता है। तिथि के पर्व पर ही यह पर्व मनाया जाता है। सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करती हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें