SHEIKHPURA: पहाड़ी भूखंडों में अबैध पत्थर उत्खनन जारी,नियमों की उड़ाई जा रही है धज्जियां,जिला प्रशासन दे रही है संरक्षण
चंदन कुमार/शेखपुरा।
शेखपुरा जिले के विभिन्न पहाड़ी भूखंडों में चल रहे पत्थर उत्खनन में नियमों की खुल कर धज्जियां उड़ाए जाने का सिलसिला जारी है, वहीं इन सबके बीच जिला प्रशासन पूरी तरह मूकदर्शक बना हुआ है और उत्खनन कर रही विभिन्न कंपनियां इसका खूब फायदा भी उठा रही है। बताया जाता है कि पत्थर उद्योग में नई नीतियों को लागू किए जाने के बाद बंदोबस्ती लेने वाली कंपनियां माइनिंग प्लान कर सरकार से करार तो करती है, परंतु धरातल पर उसका पालन नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि बड़े-बड़े कंपनियों द्वारा करार के तहत माइनिंग प्लान पर कंपनियों में स्टोन क्रेशर से लेकर पत्थर उत्खनन करने वाले सभी तरह के उपक्रम की अधिकतम लागत 60 लाख रुपया के दावे के साथ कंपनियां सरकार से करार कर रही है परंतु धरातल पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो महज एक पोपलेन की कीमत है इस राशि के आसपास पहुंच जाती है ,ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनियां द्वारा उत्खनन में उपयोग किए जा रहे सारे उपक्रम की कीमत कितने करोड़ तक जा सकती है। क्योंकि एक-एक कंपनी उत्खनन के दौरान कई पोकलेन से लेकर बड़े-बड़े क्रेसर समेत अन्य उपक्रम लगाए जाते हैं। वही एक ट्रैक्टर पर पत्थर ढुलाई के लिए विभाग द्वारा मात्र 100 सीएफटी का चालान निर्देशित है जबकि ट्रैक्टर पर 250 सीएफटी तक पत्थर का परिवहन गलत तरीके से किया जाता है। वही बड़े-बड़े ट्रकों में भी न्यूनतम क्षमता का चालान दिखाकर पत्थर की अवैध ढुलाई की जाती है। इसके अलावा कई अन्य नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। रात्रि में भी उत्खनन कार्य एवं क्रेशर का संचालन किया जा रहा है। उत्खनन के दौरान प्रदूषण को लेकर आस-पास के गांव के लोगों में भी आक्रोश है परंतु इसके बावजूद जिला प्रशासन उत्खनन करने वाली इन कंपनियों की मनमानी पर शिकंजा कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। इस मामले में जिप उपाध्यक्ष व राजद नेता रंजीत सिंह उर्फ़ बुद्धन भाई ने साफ कहा कि नियमों को ताक पर रखकर उत्खनन करने वाले इन कंपनियों पर कार्यवाही करने में जिला प्रशासन को दिलचस्पी दिखानी चाहिए अन्यथा सड़कों पर उतर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता के कारण ही उत्खनन करने वाली कंपनियां मनमानी कर रही है।
शेखपुरा जिले के विभिन्न पहाड़ी भूखंडों में चल रहे पत्थर उत्खनन में नियमों की खुल कर धज्जियां उड़ाए जाने का सिलसिला जारी है, वहीं इन सबके बीच जिला प्रशासन पूरी तरह मूकदर्शक बना हुआ है और उत्खनन कर रही विभिन्न कंपनियां इसका खूब फायदा भी उठा रही है। बताया जाता है कि पत्थर उद्योग में नई नीतियों को लागू किए जाने के बाद बंदोबस्ती लेने वाली कंपनियां माइनिंग प्लान कर सरकार से करार तो करती है, परंतु धरातल पर उसका पालन नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि बड़े-बड़े कंपनियों द्वारा करार के तहत माइनिंग प्लान पर कंपनियों में स्टोन क्रेशर से लेकर पत्थर उत्खनन करने वाले सभी तरह के उपक्रम की अधिकतम लागत 60 लाख रुपया के दावे के साथ कंपनियां सरकार से करार कर रही है परंतु धरातल पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो महज एक पोपलेन की कीमत है इस राशि के आसपास पहुंच जाती है ,ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनियां द्वारा उत्खनन में उपयोग किए जा रहे सारे उपक्रम की कीमत कितने करोड़ तक जा सकती है। क्योंकि एक-एक कंपनी उत्खनन के दौरान कई पोकलेन से लेकर बड़े-बड़े क्रेसर समेत अन्य उपक्रम लगाए जाते हैं। वही एक ट्रैक्टर पर पत्थर ढुलाई के लिए विभाग द्वारा मात्र 100 सीएफटी का चालान निर्देशित है जबकि ट्रैक्टर पर 250 सीएफटी तक पत्थर का परिवहन गलत तरीके से किया जाता है। वही बड़े-बड़े ट्रकों में भी न्यूनतम क्षमता का चालान दिखाकर पत्थर की अवैध ढुलाई की जाती है। इसके अलावा कई अन्य नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। रात्रि में भी उत्खनन कार्य एवं क्रेशर का संचालन किया जा रहा है। उत्खनन के दौरान प्रदूषण को लेकर आस-पास के गांव के लोगों में भी आक्रोश है परंतु इसके बावजूद जिला प्रशासन उत्खनन करने वाली इन कंपनियों की मनमानी पर शिकंजा कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। इस मामले में जिप उपाध्यक्ष व राजद नेता रंजीत सिंह उर्फ़ बुद्धन भाई ने साफ कहा कि नियमों को ताक पर रखकर उत्खनन करने वाले इन कंपनियों पर कार्यवाही करने में जिला प्रशासन को दिलचस्पी दिखानी चाहिए अन्यथा सड़कों पर उतर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता के कारण ही उत्खनन करने वाली कंपनियां मनमानी कर रही है।
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