SHEIKHPURA: कही इतिहास न बन जाये शेखपुरा का गुलाबी प्याज ,सरकार उदासीनता के कारण किसानो छोड़ने लगे प्याज की खेती
चन्दन कुमार/शेखपुरा।
देश-बिदेश में मशहुर शेखपुरा के गुलाबी प्याज कही अब इतिहास के पन्नो में सिमट न जाए,इसका मुख्य वजह प्याज किसानो के प्रति सरकार की उदासीन रवैया बताया जा रहा है। शेखपुरा में प्याज को ही जिला में अर्थव्यवस्था का रीढ़ माना जाता है है तथा प्याज के व्यवसाय से किसानो से लेकर व्यापारियों और मजदूरों की बड़ी संख्या जुटी रहती है। व्यवसायिक आकलन में माना जाता है कि प्रत्येक बर्ष तकरीबन सौ करोड़ का प्याज के व्यवसाय से टर्न ओवर होता है। ऐसे में यदि सरकार कोई ठोस फैसला नहीं लेती है तो दिन दूर नही जब स्कूल के किताबो में इसकी चर्चा होगी।
देश-विदेश में होता है गुलाबी प्याज का निर्यात
शेखपुरा का गुलाबी प्याज का निर्यात बांग्लादेश ,ढाका ,नेपाल ,सिक्किम ,पशिचम बंगाल ,उड़ीसा देश -विदेश के कई हिस्सों में निर्यात होता है। यहाँ का गुलाबी प्याज उत्तम क्वालिटी का होता है यही कारण है कि यहाँ के प्याज कि मांग बंगलादेश के बाज़ारों में सर्बाधिक है और यहाँ से बड़े पैमाने पर प्याज का निर्यात भी होता है। लेकिन मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर अचानक रोक लगा दिया गया जिससे स्थानीय बाजारों में इसी मांग घट गयी और इसकी मूल्य में भारी गिराबट आ गयी है। निर्यात पर रोक लगने से पहले जिस प्याज का मूल्य बीस से पच्चीस रुपया प्रति किलो था आज उसका मूल्य घटकर ढाई से तीन रुपया प्रति किलो रह गया है। जिससे किसानो के सामने बहुत भारी समस्या उत्पन्न हो गयी है और बढते महगाई के दौर में किसानो को उसका उत्पादन मूल्य भी निकल पाना मुश्किल हो गया है।
शेखपुरा का गुलाबी प्याज का निर्यात बांग्लादेश ,ढाका ,नेपाल ,सिक्किम ,पशिचम बंगाल ,उड़ीसा देश -विदेश के कई हिस्सों में निर्यात होता है। यहाँ का गुलाबी प्याज उत्तम क्वालिटी का होता है यही कारण है कि यहाँ के प्याज कि मांग बंगलादेश के बाज़ारों में सर्बाधिक है और यहाँ से बड़े पैमाने पर प्याज का निर्यात भी होता है। लेकिन मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर अचानक रोक लगा दिया गया जिससे स्थानीय बाजारों में इसी मांग घट गयी और इसकी मूल्य में भारी गिराबट आ गयी है। निर्यात पर रोक लगने से पहले जिस प्याज का मूल्य बीस से पच्चीस रुपया प्रति किलो था आज उसका मूल्य घटकर ढाई से तीन रुपया प्रति किलो रह गया है। जिससे किसानो के सामने बहुत भारी समस्या उत्पन्न हो गयी है और बढते महगाई के दौर में किसानो को उसका उत्पादन मूल्य भी निकल पाना मुश्किल हो गया है।
कहते है निर्यातक
प्याज निर्यातक भुनेश्वर प्रसाद बताते है की लगभग 800 वर्षो से शेखपुरा में प्याज की खेती होती है। एक बीघा जमीन में प्याज का उत्पादन का खर्च लगभग 20 हज़ार लगता है ,लेकिन इससे मुनाफा मात्र चार हज़ार रुपया हो रहा है। जिससे किसानो को 16 हज़ार की घाटे हो रही है। सरकार की तरफ से कोई मदद नही मिलने के कारण लोग प्याज की खेती छोड़ने को मजबूर है। मुख्य वजह अन्य राज्यो में भी प्याज की खेती शुरू हो गयी है तथा विदेशो में चाइना अब प्याज का निर्यात करने लगी है। जिसको चाइना सरकार बिना उत्पाद टैक्स लगाए प्याज की सप्लाय कर रही है और मदद भी मिल रही है। जिसके कारण प्याज डिमांड न बराबर होने के कारण शेखपुरा के किसानों का धंधा चौपट हो गया है। किसान अब प्याज खेती छोड़कर अन्य धंधा अपना रही है।
प्याज निर्यातक भुनेश्वर प्रसाद बताते है की लगभग 800 वर्षो से शेखपुरा में प्याज की खेती होती है। एक बीघा जमीन में प्याज का उत्पादन का खर्च लगभग 20 हज़ार लगता है ,लेकिन इससे मुनाफा मात्र चार हज़ार रुपया हो रहा है। जिससे किसानो को 16 हज़ार की घाटे हो रही है। सरकार की तरफ से कोई मदद नही मिलने के कारण लोग प्याज की खेती छोड़ने को मजबूर है। मुख्य वजह अन्य राज्यो में भी प्याज की खेती शुरू हो गयी है तथा विदेशो में चाइना अब प्याज का निर्यात करने लगी है। जिसको चाइना सरकार बिना उत्पाद टैक्स लगाए प्याज की सप्लाय कर रही है और मदद भी मिल रही है। जिसके कारण प्याज डिमांड न बराबर होने के कारण शेखपुरा के किसानों का धंधा चौपट हो गया है। किसान अब प्याज खेती छोड़कर अन्य धंधा अपना रही है।
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