SHEIKHPURA-: जीतेन्द्रनाथ थामेंगे रालोसपा का दामन,राजनीतिक सरगर्मी हुई तेज़
चंदन कुमार/शेखपुरा।
शेखपुरा के कद्दावर नेता जीतेंद्रनाथ एनडीए के घटक दल रालोसपा का अब दामन थामेंगे। जीतेंद्रनाथ द्वारा घोषणा करते ही जिले के राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गयी है और अन्य पार्टी अपने-अपने कुनबे को मजबूत करने में जुट गए है। घोषणा के पूर्व जीतेंद्रनाथ अपने समर्थकों के साथ बैठक कर आगामी 1 अगस्त को सैकड़ो समर्थको के साथ पटना में रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के समक्ष पार्टी का दामन थामने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि जितेंद्रनाथ वर्षों तक सीपीआई के मजबूत सिपाही रहे तथा कई आंदोलनों में जीतेंद्रनाथ की अहम भूमिका रही । सीपीआई के आंतरिक कलहों के कारण 2 वर्ष पूर्व 17 जून 2015 को अपने सैकड़ो समर्थको के साथ पार्टी से किनारा कर लिये। इन दो वर्षों में उन्होंने खुद को राजनीती से अलग ही रखा और फिर अब इन्होंने रालोसपा का दामन थामने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले को लोगो ने सराहा है तो वही राजनीतिक गलियारों में हलचल थमने का नाम नही ले रहा है।
उन्होंने कहा कि बिहार में रालोसपा एक बेहतर मंच है। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर उनकी जो महत्वपूर्ण लड़ाइयां बच गई थी उस लड़ाई को आगे ले जाना है। उन्होंने कहा कि मजदूरों और किसानों के लिए रालोसपा द्वारा ईमानदार कोशिश की जाती है और इसी कारण उन्होंने इस पार्टी में जाने का निर्णय किया। उनके साथ सीपीआई छोड़ने वाले अन्य नेताओं में बिपिन चौरसिया ,सुरेंद्र प्रसाद, जगदीश चौहान ,कृष्णनन्दन पासवान ,सुभाष सिंह ,उमेश सिंह, रामप्रसाद दास ,रामजनम पासवान कपिलदास समेत सैकड़ों कार्यकर्ता भी रालोसपा में शामिल होंगे।
शेखपुरा के कद्दावर नेता जीतेंद्रनाथ एनडीए के घटक दल रालोसपा का अब दामन थामेंगे। जीतेंद्रनाथ द्वारा घोषणा करते ही जिले के राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गयी है और अन्य पार्टी अपने-अपने कुनबे को मजबूत करने में जुट गए है। घोषणा के पूर्व जीतेंद्रनाथ अपने समर्थकों के साथ बैठक कर आगामी 1 अगस्त को सैकड़ो समर्थको के साथ पटना में रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के समक्ष पार्टी का दामन थामने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि जितेंद्रनाथ वर्षों तक सीपीआई के मजबूत सिपाही रहे तथा कई आंदोलनों में जीतेंद्रनाथ की अहम भूमिका रही । सीपीआई के आंतरिक कलहों के कारण 2 वर्ष पूर्व 17 जून 2015 को अपने सैकड़ो समर्थको के साथ पार्टी से किनारा कर लिये। इन दो वर्षों में उन्होंने खुद को राजनीती से अलग ही रखा और फिर अब इन्होंने रालोसपा का दामन थामने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले को लोगो ने सराहा है तो वही राजनीतिक गलियारों में हलचल थमने का नाम नही ले रहा है।
उन्होंने कहा कि बिहार में रालोसपा एक बेहतर मंच है। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर उनकी जो महत्वपूर्ण लड़ाइयां बच गई थी उस लड़ाई को आगे ले जाना है। उन्होंने कहा कि मजदूरों और किसानों के लिए रालोसपा द्वारा ईमानदार कोशिश की जाती है और इसी कारण उन्होंने इस पार्टी में जाने का निर्णय किया। उनके साथ सीपीआई छोड़ने वाले अन्य नेताओं में बिपिन चौरसिया ,सुरेंद्र प्रसाद, जगदीश चौहान ,कृष्णनन्दन पासवान ,सुभाष सिंह ,उमेश सिंह, रामप्रसाद दास ,रामजनम पासवान कपिलदास समेत सैकड़ों कार्यकर्ता भी रालोसपा में शामिल होंगे।
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