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जून, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किताब के आभाव में शिक्षा चौपट

शेखपुरा जिले के सरकारी विद्यालयों में पढने वाले* 28 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं सरकारी किताब योजना  से वंचित हैं .बताया जा रहा है कि मुफ्त किताब योजना के तहत जिले में प्रयाप्त किताब नहीं पहुँच पाने के कारण छात्र बिना किताब को ही पढने को मजबूर है . इन वंचित छात्र-छात्राओं को किताब उपलब्ध कराने के लिए जिला के शिक्षा विभाग ने अपने राज्य के आला अफसरों से गुहार भी लगायी है। लेकिन संभावना जतायी जा रही है कि स्कूलों में गर्मी की छुट्टी शुरू होने से पहले इन वंचित छात्र-छात्राओं को किताब उपलब्ध करना  मुश्किल दिख रहा है . सरकार एबम शिक्षा बिभाग सरकारी विद्यलय में पढने वाले बच्चो को आर्थिक  सहायता उपलब्ध कराने के लिए मुफ्त किताब योजना कि शुरुआत कि है लेकिन शेखपुरा  जिले में हजारो बच्चे आज भी इस योजना से बंचित है .इस बाबत मिली जानकारी में  बताया गया है कि जिला शिक्षा विभाग से जिला के लिए राज्य से कुल एक लाख 33  हजार 557 सेट पुस्तकों की मांग की थी, जिसमें हिन्दी के छात्र-छात्राओं के लिए एक लाख 26 हजार 75 सेट तथा उर्दू भाषी छात्र-छात्राओं के लिए 7 हजार 482 सेट क...

बदहाली पर आंसू बहा रहा है जिला कंप्यूटर केंद्र

बिहार सरकार के सरकारी स्कूलों के बच्चो को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा देने के उद्देश्य से सभी जिलो में लगभग ५० लाख कि लागत से जिला कंप्यूटर केंद्र का स्थापना किया गया था , शेखपुरा जिले में इस योजना के तहत कंप्यूटर तो खरीद लिए गये लेकिन ५ साल बीत जाने के वाबजूद एक भी बच्चो को कंप्यूटर कि शिक्षा नहीं मिली .आलम यह है कि लाखो रुपये  का कंप्यूटर उपकरण रखा -रखा ख़राब हो रहा है और छात्र कंप्यूटर शिक्षा के लिए या तो तरस रहे है या फिर प्राइवेट संस्थानों का रुख कर रहे है.इस ओर प्रशासन का ध्यान भी मीडिया कर्मियों के द्वारा कई बार आकृष्ट कराया गया लेकिन स्थिति जस कि तस बनी हुई है . शेखपुरा जिले के डी.एम.हाई स्कूल के बगल में बना यह जिला कंप्यूटर केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है .सरकार द्वारा जिला कंप्यूटर केंद्र खोल कर सरकारी विद्यालयों में पढने वाले बच्चो को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा देने कि योजना थी ,इसके लिए २००५ में ३५ लाख कि लागत से नए भवन बनाये गये .साथ ही लगभग ५० लाख कि लागत से ५० कंप्यूटर व फर्नीचर ,यू.पी.एस.सर्वर एबम जेनरेटर उपकरण ख़रीदे गये थे ,लेकिन ये सारी योजनाये अधिकारियो कि ल...

यादे

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शेखपुरा डी.एम.डॉ.वीरेंदर प्रसाद यादव और चन्दन कुमार महुआ न्यूज़  रिपोर्टर 

मेरी बेटी

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मेरी बेटी स्मृति राज के साथ शेखपुरा के पूर्व डी.एम.डॉ.वीरेंदर प्रसाद  यादव

शेखपुरा के पूर्व डी.एम.डॉ.वीरेंदर प्रसाद यादव

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धान काटते शेखपुरा के पूर्व डी.एम. डॉ. वीरेंदर प्रसाद यादव 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपनो को करता साकार ,शेखपुरा का झूलता स्कूल

बिहार सरकार के विकास के काम काज में गुणबत्ता के साथ कितना खिलबाड़ किया जाता है  यह शेखपुरा जिले में आसानी से देखा जा सकता है .गुणबत्ता के ऊपर उंगली मै नहीं बल्कि खुद यह तस्वीर उठा रहा है जिसे मै आपको दिखने जा रहा हूँ.जिले के लोहान पंचायत के अरारी गाँव में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा स्कूल बनाये जा रहे है ,जो स्कूल नहीं बल्कि हँगिंग वाल बनकर रह गया है .स्कूल के भवन निर्माण का कार्य स्कूल के प्रधानध्यापक के द्वारा कराया जा रहा है .लेकिन निर्माण इतना घटिया है कि उसे देखकर आपके भी रोयें खड़े हो जायेंगे कि जब स्कूल बनकर तैयार होगा तब उस भवन में पढने वाले बच्चो कि जान कितनी सुरक्षित होगी .आपखुद भी देखिये कि किस तरह इस निर्माणाधीन स्कूल भवन कि दीवार झूल रहा है .ग्रामीण जब भी इसकी शिकायत बिभाग के इंजिनियर से करते है तो वह  उनकी बाते कि अनदेखी कर काम को आगे बढ़ाये जा रहा है .स्कूल का हेड मास्टर भी स्थानीय है लिहाजा वह भी ग्रामीणों कि बात कि अनदेखी कर घटिया निर्माण में जुटे है . इस सम्बन्ध में गाँव के मुखिया ने बताया कि निर्माण कार्य से जुड़े अभियंता ज्योति कुमार अपन...

विकास के नाम पर नौटंकी

 मुख्यमंत्री  नितीश कुमार जब सेवा यात्रा पर निकलते है तो उस जिले में बिकाश कि रफ़्तार तेज़ हो जाती है , लेकिन उनके वापस लौटते ही उसकी रफ़्तार रुक भी जाती है . यह मै   नहीं कहता बल्कि आप भी शेखपुरा जिले मे देख सकते है  जहाँ एक पार्क बनाने का काम मुख्यमंत्री कि  सेवा यात्रा के पहले शुरू हुआ  और उनके वापस लौटते ही काम बंद हुआ जो आज तक बंद है  शेखपुरा परिसदन से सटे श्यामा पोखर के सौन्दर्यीकरण  का कार्य लगभग ढाई करोड़  की लागत से शुरू हुआ था |मुख्यमंत्री कि  सेवा यात्रा के दौरान इस योजना पर रात - दिन कार्य चल रहा था लेकिन मुख्यमंत्री के पटना वापस लौटते ही इस योजना पर विराम लग गया . और पांच माह बीत जाने के बाद भी इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है |आलम यह है के अब लोग यही कहने लगे हैं के मुख्यमंत्री  कि  सेवा यात्रा से न तो जिला में विकास कि रफ़्तार तेज होती है और न  ही  आम  लोगों को फायदा ही होता है  इस   महत्वकांक्षी योजना के बारे में कई बार मीडियाकर्मियों द्वारा जिला प्रशासन को  भी ध...

डायरिया का प्रकोप

khabar se koi samjhauta nahi... मौसम बदलते ही एक बार फिर शेखपुरा जिले में डायरिया अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है .डायरिया के प्रभाव से जहा जिले में सैकड़ो लोग आक्रांत है वही बिभिन्न गांवो में तीन बच्चे की मौत भी हो चुकी है .डायरिया का सर्वाधिक प्रभाव संहौरा गाँव में देखने को मिला है .जहाँ दर्जनों परिवार इससे प्रभावित है .जानकारी मिलते ही सिविल सर्जन ने चिकत्सको की टीम भेज कर इसकी जाँच तथा रोक-थाम के उपाय करने की बात कही है . इधर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है की डायरिया फैलने की जानकारी जिला प्रसाशन को एक सप्ताह पूर्व ही दे दी गयी थी लेकिन अभी तक न तो कोई चिकत्सक का दल पहुंचा है और न ही दवायों का इंतजाम हुआ है .जबकि इसके प्रकोप में प्रति दिन लोग आ रहे है और जान बचाने के लिए लोग निजी क्लिनिक का शरण ले रहे है .  

डी.एम.जनता दरवार

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आज डी.एम.संजय कुमार सिंह के जनता दरवार में कई मामलो का निष्पादन किया गया है .खासकर इंदिरा आवास ,राशन कूपन वृद्ध पेंसन समेत कई मामलो पर सुनवाई हुई है .

सादिकपुर कस्तूरबा आवसीय विद्यालय कि छात्राए पठन-पाठन में स्कूल में कुव्यवस्था से तंग आकर जिला प्रशासन से व्यवस्था सुधारने कि गुहार लगाई है .

   शेखपुरा जिले के सादिकपुर कस्तूरबा आवसीय विद्यालय कि छात्राए पठन-पाठन में स्कूल में कुव्यवस्था से तंग आकर जिला प्रशासन से व्यवस्था सुधारने कि गुहार लगाई है .छात्राओ का आरोप है कि स्कूल के संचालन से जुड़े स्वयं सेवी संस्था के द्वारा छात्राओ के साथ बदतमीजी कि जाती है .यहाँ तक कि पठन-पाठन में सुधार लाने के बजाय छात्राओ से विद्यालयों में रोटिया बनवाई जाती है एबम बर्तन साफ़ कराने से लेकर झाड़ू -पोछे भी लगवाए जाते है .इतना ही नहीं इसकी शिकायत  करने पर बच्चियों के साथ मार-पित भी कि जाती है . सालाना बीस लाख कि लागत से संचालित ये है शेखपुरा जिले का सादिकपुर कस्तूरबा आवसीय विद्यालय .कहने को तो इस विद्यालय पर सरकार का नियंत्रण है और लगभग एक सौ बच्चियों के आवसीय सुबिधा उपलब्ध कराने के लिए सालाना लगभग बीस लाख  रूपये खर्च किये जाते है .लेकिन इस विद्यालय सरकार कि हुकूमत नहीं बल्कि एन.जी.ओ.राघो सेवा संस्थान कि दादागिरी चलती है .विद्यालय में बच्चियों को पठन-पाठन कराने के बजाय उसे झाड़ू-पोछे के साथ-साथ रोटिया तक बनवाई जाती है ....